इधर उधर से
सोमवार, 15 सितंबर 2014
ये तोता नहीं
गुरुवार, 11 सितंबर 2014
ज़िन्दगी
मुसलसल हादसों से
कुछ यूँ गुज़री है ज़िन्दगी
कभी आराम से बैठे तो
लगता है कि मर गए हैं
मंगलवार, 9 सितंबर 2014
चश्मा
जब न था चश्मा मयस्सर तब निगाहें उठती नहीं थीं ।
अब वे आए हैं चश्मा चढ़ा कर निगाह चार करने
।
।
बुधवार, 3 सितंबर 2014
अचानक
चलते चलते अचानक पीछे मुङकर देखा...
तो कुछ यादें हँस रहीं थी, और कुछ रिश्ते दम तोड़ रहे थे।
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)