इधर उधर से
मंगलवार, 9 सितंबर 2014
चश्मा
जब न था चश्मा मयस्सर तब निगाहें उठती नहीं थीं ।
अब वे आए हैं चश्मा चढ़ा कर निगाह चार करने
।
।
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