बुधवार, 30 अप्रैल 2014

किस बात का ग़म

अगर वो पूछ लें हमसे, तुमको किस बात का ग़म है,
तो फ़िर किस बात का ग़म हो, अगर वो पूछ लें हमसे..

मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

नौकरी

आज विद्यालय में बहुत चहल पहल है। सब कुछ साफ - सुथरा , एक दम सलीके से।सुना है निरीक्षण को कोई साहब आने वाले हैं । 

पूरा विद्यालय चकाचक। नियत समय पर साहब विद्यालय पहुंचे। ठिगना कद , रौबदार चेहरा , और आँखें तो जैसे जीते जी पोस्टमार्टम कर दें। पूरे परिसर के निरीक्षण के बाद उनहोंने कक्षाओं का रुख किया ।
 
कक्षा पांच के एक विद्यार्थी को उठा कर पूछा, बताओ देश का प्रधान मंत्री कौन है ?
बच्चा बोला -जी राम लाल ।
साहब बोले -बेटा प्रधान मंत्री ?
बच्चा - रामलाल।
 
अब साहब गुस्साए - अबे तुझे पांच में किसने पहुंचाया ? पता है मैं तेरा नाम काट सकता हूँ।
बच्चा - कैसे काटोगे ? मेरा तो नाम ही नहीं लिखा है। मैं तो बाहर बकरी चरा रहा था । इस मास्टर ने कहा कक्षा में बैठ जा दस रूपये मिलेंग । तू तो ये बता रूपये तू देगा या मास्टर ?
 
साहब भुनभुनाते हुवे मास्टर जी के पास गए , कडक आवाज में पूछा - क्या मजाक बना रखा है। फर्जी बच्चे बैठा रखे हैं। पता है मैं तुम्हे नौकरी से बर्खास्त कर सकता हूँ।
 
गुरूजी - कर दे भाई। मैं कौन सा यहाँ का मास्टर हूँ। मास्टर तो मेरा पड़ोसी दुकानदार है। वो दुकान का सामान लेने शहर गया है। कह रहा था एक खूसट साहब आएगा , झेल लेना।
 
अब तो साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर। पैर पटकते हुए प्रधानाध्यापक के सामने जा पहुंचे। चिल्लाकर बोले , " क्या अंधेरगर्दी है , शरम नहीं आती । क्या इसी के लिए तुम्हारे स्कूल को सरकारी इमदाद मिलती है। पता है ,मैं तुम्हारे स्कूल की मान्यता समाप्त कर सकता हूँ। जवाब दो प्रिंसिपल साहब।
 
प्रिंसिपल ने दराज से एक सौ की गड्डी निकाल कर मेज पर रखी और बोला - मैं कौन सा प्रिंसिपल हूँ। प्रिंसिपल तो मेरे चाचा हैं । प्रॉपर्टी डीलिंग भी करते हैं। आज एक सौदे का बयाना लेने शहर गए हैं। कह रहे थे, एक कमबख्त निरीक्षण को आएगा , उसके मुंह पे ये गड्डी मारना और दफा करना।
 
साहब ने मुस्कराते हुए गड्डी जेब के हवाले की और बोले - आज बच गये तुम सब। अगर आज मामाजी को सड़क के ठेके के चक्कर में शहर ना जाना होता , और अपनी जगह वो मुझे ना भेजते तो तुम में से एक की भी नौकरी ना बचती।

शनिवार, 26 अप्रैल 2014

तंज़

उस दिन मुंह फेर कर गया जब वो उदास लम्हा
मैं देर तक सोचती रही तन्हा...


लोग हंस कर मिलते हैं कलेजा छील कर रख देते हैं
वो तंज़ भी करता था तो मुस्कुराहटें भर देता था !!

रविवार, 20 अप्रैल 2014

ज़रूरी मीटिंग

बॉस (सेक्रटरी से): तुम और मैं एक हफ्ते के लिए लंदन जा रहे हैं। ज़रूरी मीटिंग है।

सेक्रटरी (पति से): ऑफिस के काम से मुझे बॉस के साथ एक हफ्ते के लिए लंदन जाना है। जरूरी मीटिंग है।


पति (अपनी गर्लफ्रेंड से, जो एक टीचर है): मेरी बीवी एक हफ्ते के लिए बाहर जा रही है। उसके जाते ही तुम घर आ जाना।
 

गर्लफ्रेंड (स्टूडेंट्स से): बच्चो, मैं एक हफ्ते के लिए बाहर जा रही हूं, इसलिए तुम्हारी एक हफ्ते की छुट्टी।

एक स्टूडेंट (अपने पिता से, जो कि बॉस है): डैड, मेरी एक हफ्ते की छुट्टी है। मैं घर आ रहा हूं, आप कहीं मत जाना।
 

बॉस (सेक्रटरी से): मेरा बेटा आ रहा है। लंदन जाना कैंसल।

सेक्रटरी (पति से): ऑफिस टूर कैंसल।
 

पति (गर्लफ्रेंड से, जो कि टीचर है): पत्नी नहीं जा रही। हमारा प्रोग्राम कैंसल।

टीचर (स्टूडेंट्स से): बच्चो, आपकी छुट्टियां कैंसल।
स्टूडेंट (पिता से, जो कि बॉस है): पापा, मैं नहीं आ सकता। छुट्टियां कैंसल हो गईं।
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बॉस (सेक्रटरी से): मेरा बेटा नहीं आ रहा, हम एक हफ्ते के लिए लंदन जा रहे हैं!

क्या बनाओगी?

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

प्यार का दाना

प्यार का दाना परोस कर तो देखो... 
न जाने कितने रिश्ते यहाँ अभी भी भूखे बैठे हैं...

मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

मुड़-मुड़ कर देख रही

वो मुड़-मुड़ कर देख रही थी और हम उन्हें;

वो मुड़-मुड़ कर देख रही थी और हम उन्हें;
क्योंकि Exam चल रहा था ...
 

और
ना उन्हें कुछ आ रहा था ना हमें।

Comfortable to say !

वो तो दुश्मन था कहा जिसने कि हम अच्छे नहीं 
दोस्तों ने हँस के अफ़साना यह सुन लिया कैसे ...

शनिवार, 5 अप्रैल 2014

हे भगवान

एक दिन एक छोटा सा बच्चा अपनी छोटी सी गाड़ी घसीटता हुआ चर्च से गुज़र रहा था।

उपदेशक वहीं पर बाहर बैठे हुए थे, तभी गाड़ी का एक पहिया खुलकर गिर गया।

“हे भगवान!” लड़का चिल्लाया, उपदेशक ने कहा, बेटे, ऐसा नहीं कहते, कहो ‘भगवान की इच्छा! लड़के ने पहिया वापिस लगाया और घर चला गया!

अगले दिन, छोटा बच्चा फिर से उस चर्च के पास से गुज़र रहा था और उपदेशक भी बाहर थे इस बार दो पहिये खुल गए और लड़का फिर से चिल्लाया, हे भगवान! उपदेशक ने फिर कहा, बेटे, ऐसा नहीं कहते, कहो ‘भगवान की इच्छा' लड़के ने पहिया ठीक किया और घर चला गया!

अगले दिन, बच्चा फिर से चर्च के पास से गुज़रा, उपदेशक इस बार भी बाहर खड़े थे! उसकी गाड़ी के तीन पहिये खुल कर गिर गए और लड़का फिर चिल्ला पड़ा, 'हे भगवान!' उपदेशक ने फिर से कहा, बेटे ऐसा नहीं कहते, कहो ‘भगवान की इच्छा!' लड़का तीनों पहिये गाड़ी में लगाता है और वापस घर चला जाता है!

चौथे दिन भी लड़का चर्च के पास से गुज़र रहा था उपदेशक बाहर खड़े थे, और इस बार गाड़ी के चारों पहिये खुल कर गिर जाते हैं, लड़का गाड़ी को देखकर कहता है, "भगवान की इच्छा"!

अचानक चारों पहिये उछलकर गाड़ी में लग जाते हैं

और उपदेशक कहता है, "हे भगवान"!

शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

कितना बड़ा पहाड़ टूटता है

दिल पर कितना बड़ा पहाड़ टूटता है ना !!
जब
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सुबह-सुबह .....
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पलकें बिछाकर .........
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चाय बनाकर.........
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कोई कर रहा हो किसी का इंतज़ार,
और वो कहे .......
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आज मैं नही आउंगी दीदी !!

औकात