मंगलवार, 5 मई 2015

जूते

जब जूते शीशे की दुकानों में और किताबें फुटपाथ पर बिकने लगे तो समझ लीजिये, जमाने को ज्ञान की नहीं... 

जूतों की जरूरत है...!

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