उस दिन मुंह फेर कर गया जब वो उदास लम्हा
मैं देर तक सोचती रही तन्हा...
लोग हंस कर मिलते हैं कलेजा छील कर रख देते हैं
वो तंज़ भी करता था तो मुस्कुराहटें भर देता था !!
मैं देर तक सोचती रही तन्हा...
लोग हंस कर मिलते हैं कलेजा छील कर रख देते हैं
वो तंज़ भी करता था तो मुस्कुराहटें भर देता था !!
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