शनिवार, 26 अप्रैल 2014

तंज़

उस दिन मुंह फेर कर गया जब वो उदास लम्हा
मैं देर तक सोचती रही तन्हा...


लोग हंस कर मिलते हैं कलेजा छील कर रख देते हैं
वो तंज़ भी करता था तो मुस्कुराहटें भर देता था !!

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